Monday 1 March 2010

होली और बजट...संग, संग!

होली और बजट...संग, संग!

... जैसे ही बजट पार्लियामेंट हाउस से बाहर आ गया!....आम आदमी खुश हो गया!... क्यों कि वह आम आदमी था!...ख़ास होता तो भला कैसे खुश होता?... अब देखिए...विपक्ष के सभी ज्यादा या कम प्रसिद्द नेता नाखुश हो गए!... बजट का भाषण खत्म होने से पहले ही वोक-आउट कर गए!... क्यों कि ये सारे लोग आम आदमी तो थे नहीं !...अगर होते नाखुश क्यों होते?...बाहर निकल कर क्या बीजेपी और क्या आरजेडी... और क्या समाजवादी... सभी दल एक जुट हो गए... बजट का जमकर विरोध किया ... आम आदमी को बताया गया कि उसको फ़रवरी में ही एप्रिल फुल बनाया गया है!... उसे हंसने या खुश होने की जरुरत नहीं है!... महंगाई ..बस! उसकी कमर तोड़ने ही वाली है! ....लेकिन आम आदमी समझ जाए तो वह आम कैसा?

... उसने फट से जवाब दे डाला ... नेताओं!...बजट तो हर साल पार्लियामेंट हाउस से बाहर निकल पड़ता है!... ये कोई पहला बजट तो है नहीं!... महंगाई का लाल-पिला रंग हर साल हमें रंगता आया है !.... विविध टैक्सों के रंग पिचकारी में भर- भर कर हमारे ऊपर धार मारने में, सरकार ने कभी कंजूसी नहीं की है!... बजट ने तो हमें धुल-मिटटी से भी नहलाया है!... जिसे सभ्य भाषा में धुलंडी कहा जाता है! ... तो बजट से डरना कैसा?॥

.......महंगाई की मार खा खा कर तो हम बड़े हुए है!... हे विरोध- पक्षी नेताओं!... जब सत्ता की कुरसी पर आप बिराजमान थे....तब भी बजट के लात-मुक्के हमें खाने पड़ते थे...तो अब इस बजट का डर हमें क्यों दिखा रहे हो?....क्या इसलिए कि अब आपके भाई- बंधू कुर्सी पर जमे हुए है ? मिठाई, सब्जियां या दालों के भाव ...या डीजल- पेट्रोल के भाव ,आसमान छूने लग गए तो क्या हुआ ... हम सारे आम आदमी है ! ...हमें तो खुश होना चाहिए कि आसमान की तरफ सिर उठाकर देखने का सुनहरी मौका हमें मिल गया... भूख से बिलबिलाते हुए भी हम कितने खुश है....हम कितने भाग्यशाली है!... रोने की हमारी हमेशा की आदत है!... कम से कम बजट के आने की खुशियाँ तो हमें मनाने दीजिए !... आइए नेता-गण ! आप भी आम आदमियों की खुशियों में शामिल हो जाइए...भूल जाइए कुर्सी पर बैठे अपने भाई-बंधुओं को ....और गाइए-गुनगुनाइए....

बजट आया रे, आया रे.... बजट आया रे!
महंगाई लाया रे, लाया रे...बजट आया रे!
करो बजट का सत्कार...
बंद करो कारोबार....
सब चिंताए है बेकार...
बोलो....जय,जय,जय सरकार....
बजट आया रे, आया रे.....बजट आया रे !

6 comments:

Asha Joglekar said...

आपके इस ब्लॉग पर पहली बैर आई मेरी तरह ही और लोग भी इससे वाकिफ नही हैं शायद । जबर दस्त लेख ।

kshama said...

Bada karara vyang kasa hai! Bahut khoob..aam aadmi kee yah gatha nirantar chalu rahegi...

sumant said...

बहुत सुंदर रचना. मैंने अपने ब्लॉग संग्रह को एक नया नाम दिया है.
आपका पूर्ववत प्रेम अपेक्षित है .
www.the-royal-salute.blogspot.com

जयकृष्ण राय तुषार said...

very nice

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

वाह क्या बात है.. बजट पर ये पोस्ट... आपने हमें आसमान याद दिला दिया.. :) धन्यवाद.. शुभकामनायें

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

एक साल होने को आया है... होली पिछली ...अब दुसरी होली भी आने वाली है... आपने कोई नयी पोस्ट नहीं डाली...क्यों ?.. उम्मीद है जल्द ही हमें आपका लिखा पढ़ने को मिलेगा,..