Wednesday, 4 January 2012

मेरे उपन्यास में अभिषेक बच्चन!



अभिषेक बच्चन को ध्यान में रख कर लिखी गई कहानी...

मेरा पहला उपन्यास ...' उनकी नजर है...हम पर'...11 अगस्त 2010 के रोज प्रकाशित हुआ था! अब तक इसकी बहुत से लेखकों द्वारा बहुतसे पत्र-पत्रिकाओं में समीक्षा की गई है!....सभी ने इसे सराहा है! ...मै निजी तौर पर यहाँ सभी का धन्यवाद करती हूँ!

....यह उपन्यास मंगलग्रह से धरती पर आने वाले परग्रहियों की कहानी समेटे हुए है!....अत: इसे विज्ञान कथा पर आधारित कहानी आप कह सकते है; ...लेकिन इसमें विज्ञान विषय के लिए जो अपरिहार्य सबूत चाहिए होते है...वे मौजूद नहीं है...तो इस कहानी को एक परिकथा या मनोरंजक कहानी के वर्ग में शामिल किया जा सकता है!

.....अब जग प्रसिद्ध उपन्यास ..'हैरी पोटर' की कहानी ही लीजिए!...इसमें जादू से प्रकट होने वाले प्रसंगों की भरमार है!...यह भी एक मनोरंजक कहानी है....परिकथा ही है!...हैरी पोटर' की फिल्मों का सिलसिला भी खूब चल पड़ा!... और भी इसी तरह की बहुत सी फिल्में... मैन इन ब्लैक जैसी ....चल पडी!.....इंगलिश फिल्मों का यह एक प्रमुख विषय रहा ,है जिसमें परग्रहियों का मतलब कि एलियंस का हमारी धरती पर आना हुआ है!...हिन्दी फिल्में भी इस विषय पर बहुत बड़ी संख्या में दर्शक जुटाने में कामियाब रही है!..राकेश रोशन निर्मित और रितिक रोशन द्वारा मुख्य भूमिका निभाई गई फिल्म 'कोई मिल गया...' हिट रही है और आज पांच साल बाद भी थिएटर पर दर्शकों की भीड़ इकठ्ठा करने में कामियाब है!...यह एलियंस का हमारी धरती पर आने की कहानी दर्शाती है!...फिल्म 'कृश...रजनीकांत की 'रोबोट' और शाहरुख खान की 'रा. वन' भी चमत्कारों के भरमार से युक्त,इसी वर्ग की फिल्में है!

...जब मैंने 'उनकी नजर...' की रचना की है , तब इस उपन्यास की कहानी के दो पात्र ..मंगलग्रह से हमारी धरती पर आए हुए दो वैज्ञानिक ' फैंगार' और ' चापेन' पर विशेष रूप से ध्यान दिया है!...जैसे जैसे मै कहानी लिखती गई ' फैंगार' को मैंने अभिषेक बच्चन के स्वरूप में देखना शुरू किया !...शायद अभिषेकजी की फिल्में ' रिफ्यूजी' और 'गुरु' में उनके द्वारा किए गए गंभीर लेकिन अपनी एक अलग और खास छाप छोडने वाले अभिनय को ले कर ऐसा हुआ होगा!...उनकी और भी कई फिल्मों में उनके अभिनय में यही खासियत पाई गई!...उपन्यास के इस पात्र में भी यही खासियत है!...अब फिल्मों का फ्लॉप होना या हिट होना और भी बहुत सी चीजों पर निर्भर रहता है!

....वैसे मैंने यह उपन्यास यह सोच कर तो लिखा नहीं है कि इस पर फिल्म या सीरियल बने!...सभी लेखक गुलशन नंदा या चेतन भगत तो बन नहीं सकते!...और फिर सायंस फिक्शन पर हिन्दी फिल्में बनती भी बहुत कम है...क्यों कि इस पर लागत बहुत बड़ी आती है!...

....खैर!...अगर इस उपन्यास पर फिल्म बनती है और अभिषेक बच्चन भी ' फैंगार' की भूमिका निभाते है....तो मै समझूंगी कि दुनियामें असंभव जैसा कुछ भी नहीं है!

7 comments:

kshama said...

Aapko bahut,bahut badhayee aur bhubh kamnayen!

kshama said...

Aapko naya saal mubarak ho!

Pallavi saxena said...

आपकी मानोकामाना पूर्ण हो नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

Suman said...

बहुत बहुत बधाई आपको !
सच है दुनियामे असंभव कुछ भी नहीं है !
आप की इस कहानी पर फिल्म बने यही शुभकामनायें !

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Aapko badhaiyan... aapki manokaamna purn ho ..Navvarsh mangalmayi ho..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Aapko badhaiyan... aapki manokaamna purn ho ..Navvarsh mangalmayi ho..

संजय भास्‍कर said...

आपकी मानोकामाना पूर्ण हो...शुभकामनायें !