Monday 9 January 2012

एक अनोखी प्रेम कहानी!












एक अनोखी प्रेम कहानी ...इसमें






‘Love, Adventure & Miracle’ भी है!


मेरा नाम प्रिया चौधरी!..मै गुजरात के एक छोटे शहर की रहनेवाली हूं!...जब साइंस कोलेज में एड्मिशन लिया, तब मेरी उम्र कोई 17 साल की थी! यह कोलेज सह-शिक्षा समिती का था!...... तभी किसी सहेली ने बताया कि शहर के जाने-माने कार्डिओलोजिस्ट डॉ. जोशी का बेटा 'मयंक' भी इसी कॉलेज में एडमिशन ले रहा है!... मेरे अंदर 'मयंक' को देखने की उत्सुकता पैदा हो गई!..'मयंक' कितना प्यारा नाम!... लेकिन कुछ ही दिनों में पता चला कि मयंक ने तो अहमदाबाद के सेंट जेवियर्स कॉलेज में एड्मिशन ले लिया!... मेरी उसे देखने की उत्सुकता और बढ़ गई!... मैंने ठान ही ली कि एक बार ही सही... मयंक को एक नजर देख तो लूं!... यही से मेरी प्रेम कहानी शुरू हुई!

...मेरी कोशिश रंग लाई और मेरा किसी काम से अहमदाबाद के सेंट जेवियर्स कॉलेज में जाना तय हुआ!... वहां पूछ्ताछ करने पर मयंक के बारे में पता चल ही गया!... वह वहां बॉयज हॉस्टेल में रह रहा था!... वहां तक मैं जा पहुंची .. और हाय राम!..उसे दूर से ही देख लिया!... अब उससे बात करने को जी मचल उठा!... लेकिन बात बनी नहीं!...लेकिन पता नहीं क्यों और कैसे उसे भी मेरे बारे में पता चल ही गया कि एक लड़की उसके बारे में कुछ ज्यादा ही पूछताछ कर रही थी!...अब हुआ ऐसे कि वह भी शायद मुझे देखने के इरादे से ही....मेरे कॉलेज में आया! मुझसे आंखे चार हुई...लेकिन बात इससे आगे नहीं बढी!... मुझे मन की गहराई में उतरने पर ऐसा महसूस हो रहा था कि मयंक भी मेरे में गहरी रुचि ले रहा है... लेकिन अभिव्यक्ति का सही मौका न उसे मिल रहा है...न मुझे!

... मैंने मन ही मन हार मान ली... सोचा मनुष्य कितना कुछ चाहता है, उसे उस में से सबकुछ तो नहीं मिलता!....मैं उसे भुलाने की कोशिश में लगी रही!... मैंने बीएससी कर ली!... मयंक अब तक मेरे बहुत अंदर तक समा चुका था!.. वह कहां है...क्या करता है..कुछ पता न चला! ...हो सकता है वह अपने पिता की तरह डॉक्टर बन गया हो!

... मैं बडी हो चुकी थी..अब मेरे लिये लड्के देखे जाने लगे... और मेरी एंगेजमेंट ‘विश्वास’ से हो गई....यह लड़का इंजीनियर था और मेरे पापा के दोस्त का ही बेटा था! " ....लेकिन जीवन में कभी भी कुछ भी घटित हो सकता है....शादी की तारीख भी तय हो गई..कार्ड भी छपने चले गए कि अचानक से खबर आई कि विश्वास ने नींद की गोलिया खा कर आत्महत्या कर ली!..आत्महत्या के कारण का पता चला नहीं था!


....मेरे जीवन पर विषाद के बादल छा गए!...मयंक तो पहले से ही मेरे दिल की धडकन बन चुका था...और उसी धडकन के सहारे मै जीवन संवार रही थी!...और यह हादसा!...मुझे लगा कि ईश्वर पर भरोसा करूँ...या न करूँ?



.....मैं मन ही मन कोशिश कर रही थी कि मेरे दिल की आवाज मयंक के कानों से टकराएं!...पहले मुझे भगवान के अस्तित्व पर हंमेशा शक बना रहता था लेकिन अब भगवान के सामने भी गिडगिडाना मैंने शुरु कर दिया!... मेरी उम्र तब लगभग 24 साल की थी!... मेरे माता-पिता ने मुझे समझाया कि कहीं नौकरी कर लूं..जिससे कि दुःख की तीव्रता कुछ कम हो सके!

...... मेरी पढ़ाई के अनुरुप मैंने बैंक की नौकरी के लिए आवेदन दिया!...तीन महीने बाद ही साक्षात्कार के लिए बुलावा आ गया!... मुझे साक्षात्कार के लिए वडोदरा जाना था!... पास ही छोटे शहर नडियाद में, मेरे चाचा-चाची रहते थे!..मेरे चाचाजी डॉक्टर थे!..मुझे न जाने क्यों अंदर से ऐसा लग रहा था कि मयंक मुझे यहाँ मिल जाएगा! !

...मयंक डॉक्टर नहीं बन पाया था!... वह एक जानी-मानी दवाई की कंपनी में रिप्रिझेंटेटिव्ह के तौर पर कार्यरत था!...अपने बिजनेस के सिलसिले में मेरे डॉक्टर चाचाजी से मिलने उनके यहां आया था!... मैंने उसे ड्रॉइंग-रुम में देखा तो भौंचक्की रह गई!.. लगा भगवान का अस्तित्व सही में है...वरना मैं यहां कैसे आती!... रसोई में चाय बनाने में व्यस्त अपनी चाची से मैंने थोड़े से शब्दों में अपनी एक तरफा प्रेम कहानी सुनाई !... सुन कर चाची भी हैरान रह गई...लेकिन चाची ने जल्दी जल्दी में ही एक फैसला ले लिया! वह तुरन्त मुझे साथ ले कर ड्राइंग-रुम में गई!..

... मेरी मयंक से आंखें चार हुई!... बातचीत की डोर चाची ने ही संभाली!.. बातों बातों में पता लगाया कि मयंक की अब तक शादी हुई नहीं है और वह अहमदाबाद ही में किराए पर फ्लैट ले कर रह रहा है!...यह सब जान कर मेरी बांछें खिल गई!... मयंक के चेहरे की मुस्कान देख कर मैंने अंदाजा लगाया कि वह भी इस तरह से अचानक मुझे सामने पा कर बहुत खुश है!.... मेरी उस समय मयंक से औपचारिक बातें ही हुई!

....मेरी चाची ने उसे मेरे बारे में बताते हुए कहा कि ..." प्रिया का बैक की नौकरी के लिए वैसे चयन हो चुका है...सिर्फ इंटरव्यू बाकी है!...दो दिन बाद सोमवार के दिन अहमदाबाद के एक बैंक में इंटरव्यू है!... प्रिया सुबह आठ बजे की बस से अहमदाबाद पहुंचेगी!"


....इस पर मयंक ने कहा " मैं बस स्टैंड पर प्रिया को रिसीव करने पहुंच जाउंगा!...इंटरव्यू के लिए बैक भी ले जाउंगा!... बैंक मैंने देखा हुआ है!"... यह सुन कर मुझे लगा कि अंधा एक आंख मांगता है तो भगवान कभी कभी दो भी दे देता है!... मेरे चाचाजी भी अचंभे में थे कि यह क्या हो रहा है!...बाद में उन्हें मैंने और चाची ने सबकुछ बताया.. वे भी मेरी और मयंक की मुलाकात से खुश थे!

... दो दिन बाद मैं अहमदाबाद पहुंची! ..मुझे रिसीव करने बस स्टैड पर मयंक आया हुआ था! उसके पास मोटरसाइकिल था!...मै अब उसके पीछे बैठ कर मानों हवा में उड़ रही थी!...सब कुछ एक स्वप्न की तरह घटित हुआ!...हम दोनों एक कॉफी-हाउस गए...इधर-उधर की बातें हुई...फिर मेरे इंटरव्यू के लिए बैंक गए... फिर एक साथ लंच किया और फिर मयंक मुझे अपने फ्लैट पर ले गया!... अब लगा कि मैं उसे अपने दिल की बात कहूं.. वह भी जरुर कहेगा!... उसके बाद के जीवन के सुनहरे पलों में मैं खो गई!...

...मयंक का छोटासा वन बेडरूम का फ़्लैट था...लेकिन यहाँ सभी सुविधाएं मौजूद थी!...मेरी नजर टेबल पर रखे हुए म्युझिक प्लेयर पर गई और मयंक ने तुरंत उसे चला दिया...गीत बजने लगा...
‘तेरी मेरी...मेरी तेरी प्रेम कहानी है नई...दो लफ्जों में ये बयाँ ना हो पाएं....”


"मयंक" मैंने साहस बटोरते हुए कहा!


"हाँ! प्रिया!...कहो!"


" तुम मानते हो कि मै तब से तुमसे प्यार करने लगी थी...जब सिर्फ तुम्हारा नाम सुना था...तुम्हे देखा भी नहीं था..."


"मानता हूँ।...क्यों कि मैंने भी तुम्हे देखा नहीं था लेकिन तुम मेरे सपने में कई बार आई थी...लेकिन संजोग से एक ही शहर में रहने कि वजह से मैंने तुम्हे देखा और तुमसे प्यार करने लगा ..."


" मै भी मानती हूँ कि ऐसा ही हुआ होगा!...लेकिन जानते हो गुजरे वक्त में मेरे साथ क्या हुआ?"


" जानता हूँ...सब जानता हूँ...तुम्हारे साथ क्या गुज़री है..."


"अब... जब कि हम दोनों ने अपने दिल के राज खोल दिए है ...इसका श्रेय इस म्युज़िक प्लेयर को जाता है...जिसने बेहिचक हमारे दिल की बात हमारे सामने रख दी!"


“यह म्युझिक प्लेयर मैंने नया खरीदा है!...पसंद आया?” मयंक मेरे नजदीक खड़ा था और पूछ रहा था....और मै चुपके से अपने पेट कर चूंटी काट कर तसल्ली कर रही थी कि यह कोई सपना नहीं हकीकत है!


...शायद यही भाव मेरे चेहरे पर भी झलक रहे थे...क्यों कि मयंक ने अब अलमारी से कैमरा निकाला और मुझ से कहा...


“ प्रिया!...तुम्हारे प्यारे से चेहरे के भाव देख कर मुझे लग रहा है कि मै इन्हें कैमरे में कैद कर लूं....क्या इजाजत है?”


“ मयंक!...क्या मेरा चेहरा देख कर बता सकते हो कि मै इस समय क्या सोच रही हूँ?”


“हाँ!...तुम एक साथ बहुत कुछ सोच रही हो...तुम सोच रही हो कि मै तो मयंक से प्यार करती हूँ...लेकिन मयंक भी करता है इसका पता तो अब चला !तुम सोच रही हो कि तुम्हारा इस तरह से मेरे घर पर आना एक साहसिक कदम है...है कि नहीं?....तुम सोच रही हो कि जो कुछ हम सोचते है उसका हकीकत बन कर सामने आ जाना एक चमत्कार ही तो है....तुम सोच रही हो कि...”


"मयंक बस भी करो!...तुम सच कह रहे हो...क्यों कि तुम्हारे मन में भी इस समय यही सोच मौजूद है!


....फिर मयंक ने मेरी कई तस्वीरें ली और मैंने भी मयंक की बहुत सी तस्वीरें ली ...यह सुन्दर कैमरा था...ब्लैक कलर का!...इसे हाथ से अलग करने का मन ही नहीं कर रहा था! ..मेरे मनोभाव को मयंक समझ गया...

“...चाहिए तुम्हे?...मयंक मेरे कान में फुसफुसाया...उसकी साँसों की गर्माहट मैंने अपने गाल पर महसूस की!

“....नहीं...अभी नहीं!”
“ ..समझ गया मै....”
....मेरे पास बैठा हुआ मयंक कुछ आगे कहने जा रहा था लेकिन उसके मोबाइल की मीठी ट्यून बज उठी और वह किसी से बात करने लगा!....शायद उसके ऑफिस के किसी कुलीग का फोन था!...मै देख रही थी मयंक का मोबाइल भी बड़ा प्यारा था!...


“ मैंने म्युझिक प्लेयर, कैमरा और मोबाइल...सभी ZAPstore.com पर ऑर्डर प्लेस करके ही खरीदे है!...सभी चीजें कितनी सुन्दर है नहीं?...”


....यह सब चीजे अगर सोना थी; ...तो मयंक का साथ तो सोने पर सुहागा था.....उसी दरमियान हम दोनों ने तय कर लिया कि हम जीवन भर एक दूसरे का साथ निभाएंगे!



.....मेरी इस अनोखी प्रेम कहानी में प्रेम, साहस और चमत्कार..तीनों तत्व मौजूद है!



This entry is a part of BlogAdda contests in association with Zapstore.com












8 comments:

kshama said...

Badee hee pyaree kahanee hai! Ek saans me pooree padh gayee!

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

bahut Pyari kahani hai Aruna ji... puri ki puri aisee padhi ki... aik jagah par Anu aur priya do naamo me confusion jaroor ahi..

virendra sharma said...

सजीव घटना प्रधान कहानी इत्तेफाक ही इतीफाक तमाम खूबसूरत अंत .

Suman said...

बहुत अच्छी कहानी है और कहानी का अंत सबसे सुंदर लगा !

Aruna Kapoor said...

धन्यवाद सुमन जी!...सुमनजी, आप की लघुकथा...अमरबेल पढ़ी!..शिक्षा-प्रद कहानी है!..बहुत अच्छी लगी..लेकिन आप के ब्लॉग पर टिप्पणी देने में शायद इंटरनेट की वजह से प्रोब्लम आ रही है...टिप्पणी की विंडो खुल नहीं रही है इसलिए यहाँ दे रही हूँ!

संजय भास्‍कर said...

खूबसूरत अंत सुंदर लगा !

amrendra "amar" said...

nice story, padhker bahut accha lga

Unknown said...

"Sahsa Pani Ki Ek boond Ke Liye" Bahut Hi Achhi Rachna. Padhe Love Story, प्यार की बात aur bhi Bahut kuch online.