कहानी में ' प्रणय-त्रिकोण'
....आज यहाँ सिर्फ और सिर्फ इस उपन्यास में वर्णित प्रेम कहानी की ही चर्चा करेंगे!...यहाँ एक प्रेमिका कोकिला और उसके दो प्रेमी..मदनसींग और हसमुख....मिल कर प्रणय त्रिकोण की रचना कर रहे है!...उपन्यास की कहानी जानने के लिए आपको नीचे दिए गए लिंक पर जाना ही पडेगा...अन्यथा मजा नहीं आएगा!
अगला पन्ना, खुला उपन्यास का...
दोस्तों!...आगे बढ़ चली कहानी....
सुन्दर नारी कोकिला...
उसकी अंगडाई लेती जवानी.....
दोस्तों!...आगे बढ़ चली कहानी....
सुन्दर नारी कोकिला...
उसकी अंगडाई लेती जवानी.....
चाहने लगी वह मदनसींग को....
जो उसे जान से भी प्यारा ...
मदन भी दीवाना कोकिला का...
उसने भी है दिल हारा....
प्रेमी प्रेमिका दोनों खुश है....
मानो पंछी विशाल नभ के....
सुध-बुध खोए रहते हरदम...
जैसे विरले प्राणी जग के....
साथ चलेंगे जीवन पथ पर....
कसमें दोनों ने है खाई....
‘देख रही हूँ...प्यार तुम्हारा!...’
नियति मन ही मन मुसकाई!
कसमें दोनों ने है खाई....
‘देख रही हूँ...प्यार तुम्हारा!...’
नियति मन ही मन मुसकाई!
दो दिलों को जुदा करने....
छीनने उनका परम सुख....पहुँच गया एक तीसरा प्रेमी....
जिसका नाम है हँसमुख!
हँसमुख का भी प्यार...
बरसने लगा कोकिला के अंग अंग पर!
दूर रहने की कवायद करती रह गई बेचारी....
देखें!....कब तक रहती है बच कर!
प्रणय जब धर लेता है...
त्रिकोण का संगीन आकार...
एक कोना मिटा देता है अपनी हस्ती....
...और मान लेता है हार!
त्रिकोण का संगीन आकार...
एक कोना मिटा देता है अपनी हस्ती....
...और मान लेता है हार!
कौन जाने मदनसींग हारा...
या हार गया हँसमुख !
ये तो भाग्य-विधाती, नियति ही जाने...
कोकिला को दु:ख मिलेगा या सुख!
या हार गया हँसमुख !
ये तो भाग्य-विधाती, नियति ही जाने...
कोकिला को दु:ख मिलेगा या सुख!
( फोटो गूगल से साभार ली गई है!)
लिंक देखें....
9 comments:
साथ चलेंगे जीवन पथ पर....
कसमें दोनों ने है खाई....
‘देख रही हूँ...प्यार तुम्हारा!...’
नियति मन ही मन मुसकाई!
दो दिलों को जुदा करने....
छिनने उनका परम सुख....
पहुँच गया एक तीसरा प्रेमी....
जिसका नाम है हसमुख!
सुन्दर प्रेम त्रि -कौड़ .वर्तनी की अपनी कम्प्यूटरी सीमाएं हैं इसमें दोष आपका नहीं है .कुछ अशुद्ध रूप ठीक कर लें -
सुन्दर प्रेम त्रि -कौड़ .वर्तनी की अपनी कम्प्यूटरी सीमाएं हैं इसमें दोष आपका नहीं है .कुछ अशुद्ध रूप ठीक कर लें -
'हैं खाई '/सिंह / मुस्काई /छीनने /हँसमुख
रोचक रुख ले रही है कथा कोकिला .मैंने शुद्ध रूप लिखें हैं .
धन्यवाद वीरुभाई!....शुद्ध रूप स्वीकार्य है!
...'सिंह'...शुद्ध रूप है, लेकिन बोलचाल की भाषा में गुजरात के गांवों में रहने वाली राजपूत कम्युनिटी के लोग अपने नाम के साथ 'सींग' लिखते और बोलते देखे गए है!...आभार सर!
bahut hi manmohak prastuti....
कहानी का सार बताती ये कविता त्रिकोणीय प्यार के नुकीले कोने कैसे चुभते हैं यही बता रही है । उपन्यास पर जरूर जाउंगी ।
वाह!
बहुत प्रवाहमयी और उम्दा!
अब तो काफी रोचक लग रहा है !
सुंदर शब्दावली प्रेरणादायक
Toughest situation of life is being in a love triangle.
Post a Comment