Saturday, 31 March 2012

उपन्यास का सातवा पन्ना!






जीवन- सफर में पति का साथ कितना जरूरी!



( फोटो गूगल से साभार ली है!)


शादी तो आपने कर ली...लेकिन आपकी पत्नी या पति आपका साथ अगर नहीं देते, तो शादी का मतलब क्या हुआ? लगभग २० साल पहले की एक घटना की...याद आज ताजा हो रही है!..यह हकीकत है...कहानी मत समझ लेना...


तो हुआ ऐसा कि मेरे सामने वाले फ़्लैट में रहने वाली एक महिला बिमला ने... पता नहीं कैसे और कब...मेरा एक स्टील का सुन्दर गिलास चुरा लिया!...गिलास बहुत सुन्दर डिझाइन का था!...मुझे बर्तन गिन कर रखने की आदत तो है नहीं....लेकिन एक दिन शाम के समय जब उस महिला का पांच साल का बेटा हाथ में गिलास ले कर पानी पिता हुआ बाहर बारामदे में आया...तब मै भी संयोग से बारामदे में ही खड़ी थी...और पति इंतज़ार कर रही थी...जो उस समय ऑफिस से घर आने वाले थे!.....मेरी नजर उस गिलास पर पडी और मैंने पहचान लिया कि यह गिलास मेरा ही है!

....फिर भी मैं उलटे पाँव अपनी रसोई में गई और तसल्ली कर कर ली कि मेरा गिलास गायब है!...अब मै वापस बारामदे में आई वही खड़े पड़ोसन के बेटे से प्यार से बोली..." बेटे ज़रा अपना गिलास दिखाना!" बेटे ने तुरंत गिलास मेरे हाथ पकडाया...मैंने गिलास के उलटी तरफ तलवे पर खुदा हुआ नाम देखा....पी आर. लिखा हुआ था...जो जबरदस्ती मिटाकर उसीके उपर विमला भटेजा खुदा हुआ था!...और गिलास मेरे हाथ में ही था कि पड़ोसन दनदनाती हुई आई और पूछने लगी..." क्या देख रही हो मिसेस कपूर...ये गिलास आपका नहीं, हमारा है!"

...मैं भी जोर दे कर बोली" यह गिलास मेरा है...लेकिन आप के पास कैसे आ गया?"

...." अरे वाह!...क्या बात करती हो?....यह नया गिलास मैंने हप्ता पहले बर्तन वाली को पुराने कपडे दे कर लिया है...नाम भी मेरा लिखा हुआ है..विमला भटेजा!"


....इतने में मेरे पति आ गए....विमला के भी पति आ पहुंचे और देखने लगे कि क्या चल रहा है!.....

...अब मेरे से रहा नहीं गया...मैं घर के अंदर गई और अंदर से वैसे पांच गिलास उठा कर लाई!...मेरे पास छह गिलास का सेट था!.... सभी गिलासों के तलवे में उलटी तरफ पी.आर लिखा हुआ था!...अब साबित हो गया कि वह गिलास मेरा ही था और पड़ोसन विमला ने उसे पार कर लिया था...साथ में अपना नाम भी उस पर खुदवा लिया था!

...अब चोरी साबित होने पर बिमला जोर जोर से चिल्ला कर अपने आप को सच्ची साबित करने में लग गई!...मैंने अपना गिलास अपने कब्जे में कर लिया था!

...अब उसके पतिदेव उसकी सहायता में आगे आए और मुझे और मेरे पति को बिनती करने लगे कि...


" प्लीज...आप लोग चले जाइए...बिमला का बी.पी.हाई रहता है...पता नहीं यह कैसे हो गया!...वैसे वह बहुत अच्छी है...लेकिन कभी कभी तो गलतियाँ सभी करते है न?...है न भाई साहब?.. ..है न भाभी जी?..अगर गुस्से के मारे उसे कुछ हो गया तो मैं क्या करूँगा?...प्लीज...अब कुछ मत कहिए...सब कुछ भूल जाइए!"


...हम चुप-चाप अपने घर में दाखिल हो गए और विमला के पतिदेव उसे उनके घर के अंदर ले गए!....


...बाद में मुझे लगा कि वह गलत होते हुए भी उसके पति ने उसका साथ दिया!...उसे हमारे सामने शर्मिंदगी उठाने नहीं दी!....बिमला का बी.पी. हाई होना एक बहाना था! ....पत्नियां तो पति सही हो या गलत....उसका साथ देती ही है!...लेकिन ऐसे कितने पति होते है जो गलत होते हुए भी पत्नी का साथ देते है?.....ऐसे में ज्यादातर पति तो कोर्ट कचहरी का ही माहौल खडा कर देते है और पत्नी गलत या उसके साथ बहस करने वाला गलत....इसकी उधेड़- बुन में लग जाते है!....मतलब कि-सच झूठ को परखने में लग जाते है!...अगर आप पत्नी से अपेक्षा करते है कि वह आप का साथ दे...तो क्या पत्नी यही अपेक्षा नहीं कर सकती?...सही गलत का फैसला तो बाद की बात है!

...अब उपन्यास पर नजर डालें तो कोकिला का पति उसका साथ छोड़ गया है...कोकिला विधवा है!

लिंक देखिए...

8 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति,....अरुणा जी,....

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

मनोज कुमार said...

रोचक प्रसंग!

virendra sharma said...

बहुत बढ़िया कथात्मक विश्लेषण सौदाहरण .

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

अच्छी प्रस्तुति
अच्छा प्रसंग, बहुत बढिया

लोकेन्द्र सिंह said...

बढ़िया प्रस्तुति....

virendra sharma said...

हिलेरी क्लिंटन कई हैं लेकिन पति का पत्नी के पक्ष में निष्ठा पूरक खड़े होना एक बिरला अनुभव है .

रचना दीक्षित said...

बहुत रोचक और सबक लेने वाला प्रसंग.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

रोचक प्रसंग