Saturday, 14 April 2012

उपन्यास का बारहवा पन्ना!

हसमुख और कोकिला..बिना मंगनी, पट व्याह!


उपन्यास की कहानी तेज गती से आगे सरकती जा रही है....हसमुख ने मदनसींग को पैसों की ताकत से पछाड़ दिया...कोकिला के जीवन से ऐसे बाहर कर दिया कि लाठी भी नहीं टूटी और सांप भी मर गया!...अरे!..कोकिला खुद ही हसमुख के साथ शादी करने के लिए राजी हो गई!....लेकिन यह शादी जबरदस्ती की है....ऐसा हमारा मानना है!

....गत पोस्ट में जैसी कि हमने सलाह दी थी...सोचने सोचने में ज्यादा समय नहीं गंवाना चाहिए!....सबसे पहले हसमुख ने ही हमारी सलाह मान ली और झट से कोकिला का हाथ पकड़ लिया!....क्या पता कहीं मदनसींग एकदम से आ धमका तो सारे किए-कराए पर पानी ना फिर जाए!

...कहते है कि शादियाँ उपर से तय हो कर आती है!...चलो मान लेते है....लेकिन उपर किसकी कितनी शादियाँ होनी तय  हुई है....ये कौन जानता है?...जैसे कि कोकिला की यह दूसरी शादी है...और जीवन में तीन पुरुष स्थान ग्रहण कर चुके है....

....फिर भी कोकिला निर्दोष है, निष्पाप है....किस्मत की मारी भी है और किस्मत की धनी भी है....चलिए!...शादी तो आखिर एक पवित्र बंधन है....शादी मुबारक हो हसमुख- कोकिला!

( फोटो गूगल से साभार ली गई है!)

...कैसे?....लिंक देखें....
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/mujhekuchhkehnahai/entry/12-%E0%A4%95-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%9C-%E0%A4%AC%E0%A4%A8-%E0%A4%97%E0%A4%88-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%A8-%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%A8-%E0%A4%AF-%E0%A4%B8

8 comments:

virendra sharma said...

मदन सिंह सारे घटना क्रम पर नजर क्यों रखे हुए है ,उपन्यास की रोचकता और पाठक की उत्सुकता को बढाए हुए है .

अच्छी प्रस्तुति कुछ वर्तनी की अशुद्धियाँ निकाल दें मसलन शुद्ध रूप ऊपर कर लें .और सींग वाला 'सिंह 'कहाँ से आगया ?मदन सिंह है पात्र तो जिसका नायकत्व या खल नायकी अभी तय होना बाकी है ..

Suman said...

शादी तो आखिर एक पवित्र बंधन है....शादी मुबारक हो हसमुख- कोकिला!
aabhar ....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
संविधान निर्माता बाबा सहिब भीमराव अम्बेदकर के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
आपका-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

अच्छी रचना.....

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

अच्छा है

virendra sharma said...

तेरहवां पन्ना प्रतीक्षित .आपकी ब्लॉग दस्तक के लिए शुक्रिया .

मनोज कुमार said...

रोचकता बनी हुई है।

Amrita Tanmay said...

उपन्यास रोचक है।