Friday, 16 March 2012

उपन्यास का दूसरा पन्ना....

उपन्यास का दूसरा पन्ना....

खुल गया...खुल गया....
उपन्यास का दूसरा पन्ना भी खुल गया...
उपन्यास का नाम रखा है हमने
'कोकिला !..जब बन गई क्लोन...'
शुरुआत में ही क्लोन बनाने वाला डॉक्टर....
वही लंदन वाला ...सामने आ गया...

तेजेन्द्र देसाई नाम उस डॉक्टर का...
डॉक्टर रॉबर्ट से दोस्ती कर लेता है...
बिल्ली-चूहों के क्लोन बनाते बनाते....
मानव क्लोन भी बना डालता है.....
बड़ी मेहनत करके बेचारा थक गया....
हाथ कुछ न आया उसके.....
सारा क्रेडिट रॉबर्ट ले गया....

उपन्यास मेरा नहीं...जो पढेगा उसका हो गया....
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन ने छापा तो क्या....
हिन्दी भाषा हमारी माँ .....
उसी को समर्पित किया गया....
पढ़ने लिए इस उपन्यास को....
नीचे दिए लिंक पर लाया गया....
हिन्दी के प्रति योगदान माना जाएगा आपका...
अगर यह आप को थोडासा रिझा गया!

http://readerblogs।navbharattimes।indiatimes.com/mujhekuchhkehnahai/entry/2-क-क-ल-ज-बन-गई-क-ल-न-उपन-य-स

4 comments:

कविता रावत said...

bahut badiya ..
hardik badhai!

रश्मि प्रभा... said...

waah... badhaai aur shubhkamnayen

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या कहने
बहुत सुंदर

virendra sharma said...

बेहतरीन रचना ,बधाई kubool karen