सुबकता बचपन...
उपन्यास 'कोकिला।..जो बन गई क्लोन!' की कहानी आगे बढ़ रही है....कोकिला है तो एक भारतीय नारी!...उपर से गरीब माँ-बाप के घर जन्मी बेटी!...छह भाई-बहनों में सबसे बड़ी....और जिसकी माँ हंमेशा बीमार ही रहती हो ....बचपन में कितनी जिम्मेदारियां निभा रही थी बेचारी !
शादी सोलह साल की छोटी उम्र में ही हो गई!...पति उदयसींग को ही प्रेमी मान कर जीवन पथ पर चलना शुरू किया!...संजोग देखिए....पति प्यार करने वाला और धनवान मिला!..हनीमून के लिए मुंबई भी ले गया....वाह!...कोकिला समझ रही थी कि उसके दिन फिर गए...अब सारे दु:ख पीछे छूट गए.....लेकिन कहानी यहाँ खतम नहीं हुई!
...वह हसमुख जी के यहाँ कैसे पहुँच गई?.....हसमुख जी कैसे उसके प्यार में पागल हो गए?...और कोकिला की बात करें तो वह हसमुख जी के ड्राइवर मदनसींग के प्यार में गिरफ्तार हो चुकी थी!...लेकिन हसमुख जी की प्यार के पागलपन में होने वाली ज्यादतियां भी झेल रही थी?...आखिर क्यों?
...असल में कोकिला वक्त की मार झेल रही है....भारतीय नारी है....चुप रह कर दर्द सहना ही उसकी नियति है !...
बचपन कब साथ छोड़ गया.....
जवानी ने कब दामन थाम लिया....
पता न चला उसे...
टूट कर चाहा जिसे...
बदले में उसने क्या दिया....
उजाला भर दिया उसने...
हर महफ़िल में...
चलाती गई ...
अपनी मीठी आवाज का सिलसिला...
पर उसे तो रोशनी के परदे में छिपा...
काला अंधकार ही मिला....
अरे!....जब कुदरत ने ही काला रंग बक्शा ...
उसे तो बनना ही था कोकिला!
{ फोटो गूगल से साभार ली गई है}
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9 comments:
Bahut,bahut sundar episode!
उजाला भर दिया उसने...
हर महफ़िल में...
चलाती गई ...
अपनी मीठी आवाज का सिलसिला...
पर उसे तो रोशनी के परदे में छिपा...
काला अंधकार ही मिला....
बढती रहे यह कथा यूं ही टुकडा टुकडा आगे .हम टी वी सीरियल सा (केवल सब टी वी के सन्दर्भ में ज़िक्र है शेष कचरा है ,सामाजिक विष है )आनंद लेते रहें यूं ही इफ्ता रफ्ता रोज़ रोज़ .
अरे!....जब कुदरत ने ही काला रंग बक्शा ...
उसे तो बनना ही था कोकिला!bahut achchi prastuti
नारीमन की व्यथा का सजीव चित्रण किया है आपने!
प्रभावशाली प्रस्तुति ।
आप यूं ही टुकडा टुकडा छंद लुटाती रहें ,कथा छंद बद्ध करती रहें ,हम पढ़ते रहेंगे .'राम राम भाई 'पर .द्रुत टिपण्णी के
लिए आपका शुक्रिया .
बहुत अच्छी प्रस्तुति !
बहुत ख़ूबसूरत.
मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.
बचपन कब साथ छोड़ गया.....
जवानी ने कब दामन थाम लिया....
पता न चला उसे...
टूट कर चाहा जिसे...
बदले में उसने क्या दिया....
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
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