Wednesday 18 April 2012

उपन्यास का चौदहवां पन्ना!


  टिप्पणियों की अहमियत....

टिप्पणियों की अहमियत बहुत बड़ी होती है...सभी ब्लोगर्स इस बात को भली भाँति जानते है!...आपसी प्रेम, सद्भावना और मित्रता बढाने में टिप्पणियाँ अहम भूमिका निभाती है!...लिखी गई पोस्ट को पढ़े जाने का प्रमाण भी टिप्पणी द्वारा ही मिलता है!...टिप्पणी लेखक की हाजरी का प्रमाण भी टिप्पणी से ही ब्लॉग लेखक को मिल जाता है!...टिप्पणी की सबसे बड़ी उपयोगिता तो तब नजर आती है,जब यह प्रेरणादायी साबित होती है याने कि ब्लॉग लेखक को अविरत लिखते रहने के लिए प्रेरित करती है!

.....लेकिन कुछ टिप्पणीकार अपने टिप्पणी देने के अधिकार का दुरुपयोग भी करते है!...ब्लॉग लेखक की निंदा या बुराई करने से कतराते नहीं है!...अभद्र भाषा का प्रयोग भी बिना सोचे-समझे करते है!...अगर उन्हें ब्लॉग का विषय पसंद नहीं है तो टिप्पणी में सिर्फ ' ना- पसंद' लिख कर अपने विचारों को व्यक्ति दे सकते है!...वैसे ना-पसंद ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणी देने की जरुरत ही क्या है?

...और एक बात ब्लॉग लेखकों के लिए....अगर टिप्पणियाँ कम मिलती है तो घबराने की या ब्लॉग लिखना बंद करने की जरुरत नहीं है!...वैसे ही किसी गलत टिप्पणी के मिलते...मायूस या दु:खी होने की जरुरत भी नहीं है!...यहाँ ब्लॉग पोस्ट कमाई के नहीं लिखे जाते और टिप्पणियाँ भी कमाई का जरिया नहीं है!....तो चिंता किस बात की!

....किसी ब्लॉगर को ज्यादा टिप्पणियाँ मिलती है तो उस ब्लॉगर से जलन या वैर भाव मन में पालना, बचकानी हरकत है!...हो सकता है कि वह ज्यादा मेहनती और मिलनसार स्वभाव का हो और इसी वजह से उसके मित्रों की संख्या भी बड़ी हो!....उस जैसा बनने की कोशिश आप भी कर सकते है!

..यह समझना भी ठीक नहीं है कि आप को इसलिए टिप्पणियाँ कम मिल रही है...क्यों कि आप का लेखन स्तरीय नहीं है!...ऐसा सोचना आप के अंदर हीन भावना पैदा कर सकता है और आपके लेखन पर या आपकी रचनात्मकता पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है!.....तो उठाइए कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाली कलम और लिखिए ब्लॉग पोस्ट!....हाँ!...टिप्पणियों द्वारा भी आप अपनी क्रिएटिविटी जता सकते है!

नोट....इस ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणी देना या न देना आप की इच्छा पर निर्भर है!....'कंपलसरी' नहीं है!

उपन्यास ' कोकिला...' बिना किसी बाधा के आगे बढ़ रहा है!...कोशिश यही है कि कहानी में आखिर तक रहस्य और रोचकता बनी रहे!

लिंक..... http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/mujhekuchhkehnahai/entry/14-%E0%A4%95-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%9C-%E0%A4%AC%E0%A4%A8-%E0%A4%97%E0%A4%88-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%A8-%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%A8-%E0%A4%AF-%E0%A4%B8

19 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

"उपन्यास का चौदहवां पन्ना!"
पर
टिप्पणी देकर
हम भी
अपनी
हाजिरी लगाने
आ ही गये!

Aruna Kapoor said...

स्वागत है डॉ.शास्त्री जी!...बहुत अच्छा लग रहा है!

virendra sharma said...

सड़क का काम चलना और बस चलते रहना है कोकिला की भी यही नियति है .हंमुख भी तेज़िद्र की गोरी पत्नी से मुखातिब है .बड़े लोगों का अपना शगल है यहाँ प्रेम व्रेम जैसा कुछ नहीं होता .उपन्यास में अब उपन्यासिक तत्व वर्रण भी प्रवेश कर रहा है गोरी का ब्लाउज झीना आवरण और हंसमुख की वहां फंसी हुई आँखे सब कुछ बयान कर गईं आगे का कथानक .काली बिल्लियों का प्रतीक भी नकारा नहीं है सार्थक और सायास है .

Suman said...

yaha vanha hajiri lagate lagate kabhi der bhi hojati hai to blogar mitr ko bura nahi manana chahiye :}

Aruna Kapoor said...

धन्यवाद वीरुभाई!...स्वागत है!...आपकी टिप्पणी बहुत पसंद आई, आभार!

Aruna Kapoor said...

स्वागत है सुमन जी!....आप का आना आनंदप्रद होता है!...देर-सवेर तो चलती रहती है!

मनोज कुमार said...

आपकी बातों से सहमत हूं!

Aruna Kapoor said...

स्वागत है मनोज कुमार जी!...आभार!

vandana gupta said...

्शत प्रतिशत सत्य कहा आपने

vandana gupta said...

्शत प्रतिशत सत्य कहा आपने

Dr.NISHA MAHARANA said...

100% sahmat....

Aruna Kapoor said...

स्वागत है वन्दना जी!...आप के आगमन से बहुत अच्छा महसूस हो रहा है!...आभार!

Aruna Kapoor said...

स्वागत है निशा जी!...हम सभी साथ साथ है!...आभार!

Arvind Mishra said...

सच कहा आपने ज्यादा कम टिप्पणियाँ गुणवत्ता की कसौटी नहीं हैं ..

Aruna Kapoor said...

स्वागत है अरविन्द जी!....आपका यहाँ आना बहुत अच्छा लगा,आभार!

दिगम्बर नासवा said...

आपका टिप्पणी पुराण भी मजेदार रहा ...

Aruna Kapoor said...

स्वागत है दिगंबर जी!...आपका यहाँ आना बहुत अच्छा लगा!...टिप्पणी पुराण होता ही मजेदार है!...आभार!

virendra sharma said...

पर अरुणा जी टिपण्णी पर करुणा क्यों रचनात्मक समीक्षा तो ज़रूरी है .दया भाव न हो बेलाग हो बिंदास बेशक भाषागत सौम्यता ज़रूरी है .

Aruna Kapoor said...

वीरुभाई जी...यह भी एक मुद्दा है!...आभार!