Friday, 20 April 2012

उपन्यास का पद्रहवां पन्ना!


...कल्पनाओं के पंखों पर सवार!


कविताओं में वर्णित अमावस की रात....
कुछ ज्यादा ही कालिख लिए होती है....
ऐसे में भूत-प्रेतों की कहानियाँ....
कुछ ज्यादा ही चित्त-वेधक होती है....

रात का सन्नाटा कुछ ज्यादा ही डरावना,
सन्नाटे को भंग करती निशाचरों की आवाजें...
तूफानी हवाओं का अचानक से आगमन....
पेड़ों का...पत्तों का विचित्रता से हिलना-डुलना...
एक कवि का हद से ज्यादा डर जाना....
बे-मौसम की बारिश का भी...
उसी समय,अचानक से आगमन...
बिजलियों का कडकना...
आश्रय की खोज में कवि...
डर कर इधर उधर भटकना....
कोई टूटा-फूटा पुराना घर....
आश्रय उसी घर में लेना....

फिर दरवाजा खुलने की चरमराहट...
खाली खँडहर नुमा घर में...
चम्-गिदडों के...
पंखों की फडफडाहट....
फिर कहीं किसी कमरे से आती....
छम..छम..छम...बजती...पायल की ध्वनी....
फिर एक बार...
कवि का हद से ज्यादा डर जाना...
कवि के दिल की बढ़ती धडकन...

और किसी सुन्दरी का....
हद से ज्यादा सुन्दर चेहरा...
शरीर नदारद....सिर्फ एक चेहरा....
कवि  पर छाया हुआ बेहोशी का आलम...
मृत्यु के नजदीक होनेका....
अनुभव लेता सहमासा मन....

कविता-कहानियों में....
अक्सर मिल जाता है,कुछ भी....
क्या कवि...क्या लेखक...
अपनी विचित्र-कल्पनाओं के चित्र....
कागज़ पर उतार देतें है...कभी, कभी!

...' कोकिला...' भी एक ऐसी ही कहानी है.....कपोल-कल्पित....( फोटो गूगल से साभार ली गई है)
लिंक देखें.....

http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/mujhekuchhkehnahai/entry/15-%E0%A4%95-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%9C-%E0%A4%AC%E0%A4%A8-%E0%A4%97%E0%A4%88-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%A8-%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%A8-%E0%A4%AF-%E0%A4%B8

6 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति,...

MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

virendra sharma said...

भूमिका बेहद अच्छी .लिंक खुला नहीं है .क्यों ?

Aruna Kapoor said...

नमस्कार वीरुभाई जी!....लिंक दुबारा डाला गया है!...धन्यवाद!

Amrita Tanmay said...

बहुत सुंदर कविता के लिए बधाई...

Aruna Kapoor said...

धन्यवाद डॉ.शास्त्री जी!...आपका आना बहुत अच्छा लगा!

Aruna Kapoor said...

स्वागत हाउ अमृता जी!...आपका कोमेंट बहुत सुखद है!