Saturday, 21 April 2012

उपन्यास का सोलहवां पन्ना!

 उपन्यास 'कोकिला...' आगे बढ़ रहा है!

....यह उपन्यास पूर्व प्रकाशित नहीं है!...इस उपन्यास की खरीदारी के बारे में जानने के लिए मुझे कुछ इ-मेल प्राप्त हुए है!...उन्हें मैंने अलग से जवाब भेजा है!

...सभी की जानकारी के लिए यह बताना आवश्यक है कि यह उपन्यास nbt..(नवभारत-टाइम्स) के  मेरे ब्लॉग 'मुझे कुछ कहना है' ...पर से ही ऑन-लाइन प्रकाशित किया जा रहा है!...यहीं इसे पढ़ा जा सकता है!...फेसबुक पर भी इसका लिंक दिया जा रहा है!

आज के सोलहवे पन्ने का लिंक है......

http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/mujhekuchhkehnahai/entry/16-%E0%A4%95-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%9C-%E0%A4%AC%E0%A4%A8-%E0%A4%97%E0%A4%88-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%A8-%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%A8-%E0%A4%AF-%E0%A4%B8

4 comments:

virendra sharma said...

'कोकिला जो बन गई क्लोन' अब तेज़ी से विज्ञान गल्प के तत्वों को समेटने लगा है .मदन सिंह की दस्तक भी कुछ न कुछ गुल खिलायेगी ही .आखिर हंसमुख चैन से कैसे बैठ सकता है .है तो वह भी ब्लेक मेलर खल नायक जो ज़बरिया नायक का लबादा पहने है .

योगेन्द्र मौदगिल said...

poora padunga milne par.....
filhaal shubhkamnaen evm sadhuwaad

रचना दीक्षित said...

अभी लिंक पर जाती हूँ. शुभकामनयें.

virendra sharma said...

सत्रहवें पन्ने का इतजार .जी शुक्रिया आपके टिपियाने का इस तरह आने का .